| Story Update : Friday, June 22, 2012 12:25 AM |
गाजियाबाद। अब बिल्डर कंपाउंडिंग के नाम पर रेजीडेंट्स के साथ खिलवाड़ नहीं कर सकेंगे। यूपी अपार्टमेंट एक्ट-2010 के मुताबिक किसी भी प्रोजेक्ट के नक्शे में परिवर्तन रेजीडेंट्स की एनओसी के बिना नहीं हो सकेगा। जीडीए ने यह व्यवस्था तत्काल प्रभाव से लागू कर दी है। इसके अलावा बिल्डरों को बनाई गई इमारत की दो साल तक देखरेख भी करनी होगी। जीडीए उपाध्यक्ष ने कहा कि फ्लैट खरीददारों के हितों की रक्षा करने के लिए ही एक्ट लागू किया गया है। वर्तमान में जब कोई प्लैट खरीदने पहुंचता है तो बिल्डर उसे घर के सामने ग्रीन एरिया दिखाते हैं। जब वहां रहने पहुंचता है तो इमारत दिखती है। बिल्डर जीडीए में पहले प्रोजेक्ट का ले-आउट प्लान देता है। बाद में वह पहले ले-आउट को बदलकर रिवाइज ले-आउट प्लान पास करवा लेता है। |
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Raj Kumar Raju
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