I guess.. this is our Mahesh Ji.
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जिला उपभोक्ता फोरम ने गाजियाबाद में एक फ्लैट के सामने बनाई गई दुकान और पब्लिक प्लाजा को 30 दिन के अंदर गिराने का आदेश दिया है। साथ ही संबंधित बिल्डर को फ्लैट खरीदने वाले को मानसिक पीड़ा पहुंचाने के एवज में 25 हजार रुपये और वाद खर्च के रूप में पांच हजार रुपये अदा करने का फैसला सुना गया है। वसुंधरा एन्क्लेव, दिल्ली के हिंडन अपार्टमेंट में रहने वाले महेश नारायणन ने वर्ष 2008 में एक बिल्डर के गाजियाबाद प्रोजेक्ट में सेकंड फ्लोर पर एक फ्लैट खरीदा था। फ्लैट खरीदते समय बिल्डर ने जो ब्रोशर दिखया था उसमें इस टावर के सामने एक मंजिला कनविनियन्ट शॉप एवं बेसमेंट में पब्लिक प्लाजा होना दिखाया गया था। शिकायत में बताया था कि बिल्डर कनविनियन्ट शॉप एवं पब्लिक प्लाजा को बेसमेंट के ऊपर दो मंजिल तक ले गया है। इसकी वजह से उनके फ्लैट की प्राइवेसी खत्म हो रही है। फ्लैट में हवा और रोशनी रुक गई है। इस संबंध में उन्होंने कंपनी के डायरेक्टर से शिकायत की थी। इसके बावजूद समस्या का समाधान नहीं कराया गया। महेश नारायणन ने वर्ष 2009 में उपभोक्ता फोरम का दरवाजा खटखटाया। फोरम ने उनकी शिकायत पर कंपनी के डायरेक्टर को तलब किया। उन्होंने कहा कि फ्लैट पर खर्च किया गया धन ब्याज सहित वापस करने के लिए वह तैयार हैं। कनविनियन्ट शॉप जीडीए से पास कराए गए नक्शे के आधार पर बनाई गई है।
उपभोक्ता फोरम का फैसला
उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष ए. के. श्रीवास्तव ने बुधवार को मामले की अन्तिम सुनवाई करते हुए सुबूत के आधार पर बिल्डर को दोषी पाया। साथ ही कंपनी और उसके डायरेक्टर को आदेश दिए कि वह कनविनियंट शॉप और पब्लिक प्लाजा को 30 दिन के अन्दर ध्वस्त करे। । मानसिक उत्पीड़न के एवज में 25 हजार रुपये और 5 हजार रुपये मुकदमा खर्च भी अदा करे।
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